डा0 श्रेया प्रजापति ने सरस्वती वंदना कर कवि सम्मेलन की शुरुआत कराई
उन्नाव। अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद के 115वें जन्म दिवस की समापन सन्ध्या में अभ्युदय साहित्यिक संसथान व हनुमन्त जीव आश्रय के तत्वाधान में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें आये वाणी पुत्रो ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सम सामयिक मुद्दों समेत राष्ट्र प्रेम की अलख जगाते हुए, आजाद को श्रद्धांजलि अर्पित की।
दीप प्रज्वलन व माँ सरस्वती की वंदना के के बाद लखनऊ से पधारे कवि विख्यात मिश्र ने शहीदों को नमन करते हुुुए कितने अकाल मृत्यु मरे काले पानी से, आजादी टिकी है शहीदों की कुर्बानी पे यहटिकी हैै कंधो पर लाल बाल पाल के। आजादी मिली है क्या बिना खड्ग बिना ढाल के। सुनाकर अमर शहीदों को याद किया।
ओजस्वी कवि ने विश्वनाथ विश्व ने अपने काब्य पाठ में कहा कि श्लेकिन मरते मरते उसने सम्मान नाम का बचा लिया,कोई छू उसे नही पाया आजाद जिया आजाद मरा। कवि स्वंम श्रीवास्तव ने आखों से मेरे नीद की आहट चली गयी,तू घर से घर की सजावट चली गयी। इतनी सी थी खता की लव ने लव को छू लिया,इन शब्द से होठो की तरावट चली गयी। गाकर लोगों को सृंगार रस से रूबरू कराया। कवि अनुभव अज्ञानी ने रचना पढ़ी कि दो चार पैग और मेरे यार बना ले,पेन कार्ड पेटीएम आधार बना ले। दो दिन कंही लाहौर में टिक जाए अमित शाह ,पाक में भी भाजपा सरकार बना ले। बाराबंकी से आये कवि विकास बौखल ने कुछ लोग यू ही बंदी का समय काट रहे है, हर बात पे बच्चों को डांट रहे है। कुछ प्रेमिका की याद में ऐसे हुए गुम शुम, सरदर्द में गठिया की दवा चाट रहे है। गया कर लोगो को खूब हंसाया। अखिलेश अवस्थी ने रचना पढ़ी कि यदि बदलनी तुम्हे ये दशा है तब तो प्रति दान देने पड़ेंगे,दे के सम्मान सबको स्वंम तुमको अपमान लेने पड़ेंगे।
वहीं पर रिद्म एकदमी की संचालिका डाॅ0 श्रेया ने सरस्वती वन्दना कर सम्मेलन में अमिट छाप छोड़ी। कवि नीरज पांडेय ने कहा कि, वह आजाद आज भी हम सबकी आंखों का तारा,पानी जिसका लासानी ऐसा उन्नाव हमारा है। कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा। संचालन कवि विश्व नाथ विश्व ने किया अध्यक्षता हरिसहाय मिश्र मदन ने की। ट्रष्ट में मंत्री राजेश शुक्ल ने आये हर कवियों का सम्मान किया।
अमित शुक्ल, सुयश बाजपेई, अनिल शुक्लदिलीप यादव, अरविन्द अवस्थी, मोहन अवस्थी, संजय यादव, राजन शुक्ल,भइया दीक्षित, उदयभान दीक्षित, राजेन्द्र गुप्ता, सोहन सोनकर, राजा सेठ, लल्लू अवस्थी आदि रहे।